Wednesday 17 September 2014

राहुल देव को गुस्सा क्यों आता है


                   १७ सितम्बर सुबह :३५ को राहुल देव ने एक ट्वीट किया।
 
 
       वाह जनाब! क्या मर्दानगी दिखाई आपने! एक साधारण विमान संस्था के कर्मी पर रौब झाड़कर आपने अपने अहं की तुष्टि ही नहीं की, बल्कि एक आत्मनिर्भर कर्मरत महिला का अपमान भी किया। इससे बढ़िया बात और क्या हो सकती थी? यही नहीं, आपने अपनी बहादुरी का किस्सा बखान करने के लिये ट्वीट करके इसे जगजाहिर भी किया। भई वाह!
       आखिर ऐसी क्या बात थी की आप इतना भड़क गये। आपको किस बात का इतना गुमान था कि आपने ऐसी हरकत की? कुछ समझ में नहीं आया। "फर्राटे से बोलने वाली स्कर्टित इंडिगो कन्या" आपने तो हिन्दी भाषा को एक नया आयाम ही दे दिया, वाह! आपको परेशानी क्या फर्राटे से अंग्रेजी बोलने से थी? या कि उस महिला के तथाकथित 'स्कर्टित' होने से? या फिर बस उसके कन्या होने से? इसपर आपने कोई रोशनी नहीं डाली। खैर हम सारे पहलुओं पर विचार करते हैं।
       पहला ये कि शायद आपको फर्राटेदार अंग्रेजी से खासी नफ़रत है। हो सकता है। सबकी अपनी अपनी विचारधारा होती है। तो क्या हम अपने विचार औरों पे थोपते चलें? आपको कैसे पता चला कि उल्लेखित दोनों महिलायें ग्रामीण थी? और अगर थी भी तो उन्हें अंग्रेज़ी नहीं आती थी? आपने क्या उनके वेशभूषा से अन्दाज़ा लगाया कि उनकी शैक्षणिक योग्यता क्या है? ऐसा तो वे लोग करते हैं जो बौद्धिक रूप से दिवालिया होते हैं। मैं भी अक्सर साधारण वेशभूषा में, पायजामा, चप्पल पहनकर और झोला लेकर सफर करता हूँ। तो क्या मैं ये समझूँ कि आपके जैसे 'सूटित-बूटित' सज्जन मुझे निपट गंवार समझते हैं?
       दूसरा पहलू आपके शब्दों में 'स्कर्टित' होना है। क्या आपको महिलाओं के स्कर्ट पहनने से ऐतराज़ है? किसी महिला के वेशभूषा पर सार्वजनिक माध्यम से कटाक्ष करना आपकी मानसिक संकीर्णता को दर्शाता है। आप 'स्कर्टित' का उल्लेख करके क्या जाहिर करना चाहते थे? आपको क्या लगा कि लोग आपके फब्ती कसने की क्षमता का दाद देंगे? शायद वो दें जो छिछोरे चुटकुलों के कायल हैं, पर सभ्य और मर्यादित पुरूष इसे आपकी ओछी मानसिकता ही समझेंगें।
       तीसरा पहलू है 'इंडिगो कन्या' वाकई क्रान्तिकारी शब्द विन्यास है। कन्या, वो भी 'स्कर्टित' और फर्राटेदार अंग्रेज़ी बोलनेवाली। क्यों कन्या देखते ही आपका पौरूष हावी होने को ललक उठता है? उसे सरेआम बेइज्जत करके आप किस कुन्ठा पर विजय पाना चाहते हैं? एक कन्या का अपमान करके किस स्वार्गिक आनंद कि अनुभूति होती है जो आप जैसे पुरूष इसको अपनी वैचारिक उपलब्धि मानकर उसका ढोल पीटते हैं? एक पुरूष होकर भी मुझे आजतक ये समझ नहीं आया कि इस तरह के आचरण के पीछे कैसी मानसिकता काम करती है।
       आपके इस ट्वीट को लेकर एक महिला से मेरी ट्वीटर पर अंग्रेज़ी में चर्चा चल रही थी। मुझे आपकी हरकत बेहद घिनौनी लगी। मैने उनसे कहा


         अंग्रेज़ी में भाषा के प्रति अति संवेदनशील व्यक्ति को Language Nazi कहते हैं।
Hindi Nazi
उसी संदर्भ में कहा गया है। Behaves like a stupid at times का मतलब है- कभी कभार बेवकूफ़ों जैसी हरकत कर जाते हैं। आपका जवाब भी तुरंत गया जिसने मेरे कथन को बिलकुल सही साबित कर दिया




       आपने खुद को ही stupid nazi के संज्ञा से नवाजा और मुझे 'unthinking English-speaking ape' कहा। आपके विश्लेषण क्षमता की दाद देनी पड़ेगी। आपने ये मान लिया कि मैं सिर्फ़ अंग्रेज़ी बोलनेवाला भाषाई बन्दर हूँ। दया आती है आप जैसे क्षूद्र सोच रखनेवालों पर। हिन्दी मेरी मातृभाषा नहीं है। पर थोड़ी बहुत जानकारी है इसकी। और माँ सरस्वती के आशीर्वाद से तीन भारतीय और दो विदेशी भाषाओं में पढ़, लिख, बोल सकने की कोशिश करता हूँ। आप भाषा के प्रति संवेदनशील हैं, ये सराहनीय है। पर अपनी सोच दूसरों पर थोपना और कर्मरत महिला का अपमान करके सार्वजनिक माध्यम से अपनी उपलब्धि पर शेखी बघारना आपकी सतही विचारधारा का परिचय देता है।
       आपसे ये उम्मीद कतई नहीं थी। Get well soon.


 

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